पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/२७५

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विक्रमाब बयस सर्जनात्मक पक्ष पारिवारिक पक्ष साह शम्भुरत्न दिवंगत हो गए । एक ओर साहित्य सृजन की बलवती अभीप्सा और उसके लिए अध्यवसाय दूसरी ओर व्यवसाय के अतिरिक्त ऋण भार से मुक्त होने की चिन्ता। अतएव,दो इलाके और चौक की बड़ी कोठी बेचने से प्राप्त अस्सी हजार तथा शेष की व्यवसाय से पूर्ति कर प्रायः ढाई लाख रुपए का ऋण सं० १९७६ तक पाट दिया। १९६९ २३ छाया कहानी संग्रह, काननकुसुम का प्र० प्र०, कल्याणी परिणय ना.प्र. पत्रिका में प्रकाशित । २५ प्रेमपथिक : खड़ी बोली:, करुणालप, २६ राज्यश्री के प्र० प्र०। १९७० १९७२ १९७३ २७ घर के उस नये खण्ड के निर्माणार्थ जो दस वर्ष बाद हुमा नगरपालिका से भूमि परिवर्तन । पक्ष्मा मे २२-८-१९१६ को श्रीमती विन्ध्यवासिनी का निधन। बलोचहा : गोरखपुर : के श्री शिवप्रसाद जी की कन्या श्रीमती सरस्वती से द्वितीय विवाह (फाल्गुन संवत् १९७३) १९७४ २८ कानन-कुसुम-काल समाप्त ।

१.प्र० प्र०प्रथम प्रकाशन । व्यक्तित्व एवं कृतित्व सारिणी : १७५