विक्रमाब्द वयस सर्जनात्मक पक्ष पारिवारिक पक्ष १९७५ २९ उसी १९७६ ३० प्रसूतिज्वर से चैत सुदी ४, १९७५, (१४ अप्रैल १९१८) को श्रीमती सरस्वती का निधन । एक घण्टे बाद छः दिवसीय शिशु भी गत। चिता को शव समर्पित । विन्ध्य मे महामरस्वती- पीठ के समीप अज्ञातवाम। माघ मे गया-श्राद्ध (१९१८ के दिसम्बर मे) | फाल्गुन मे श्री रघुवर दयालजी की कन्या कमला (देवरिया)- से तृतीय विवाह। दीनबन्धु ब्रह्मचारी और स्वामी जी (इटावा के) का सम्पर्क। औपनिषदिक मनन मे तीव्रता मार्गशीर्ष की भैरवाष्टमी को मृत शिशु का प्रसव । १९७७ १९७८ १९७८ ३२ विशाख का प्र० प्र० । ३२ जुलाई से पूर्व आँस का लेविन । १ जनवरी १९२२ को पुत्र (रत्नशंकर प्रसाद) जन्म । का १९७९ १९८२ ३२ अजातशत्रु का प्र० प्र० । ३५ आँसू का प्र० प्र० : चिरगांव इटावा के स्वामीजी से संसर्ग । १९८३ ३६ जनमेजय का नागयज्ञ एव प्रति- ध्वनि का प्र० प्र० । प्रकाशन नई की व्यवस्था। ३१ इन्दु का पुनर्प्रकाशन जो जनवरी घर के नये खण्ड का निर्माण जहाँ कृतित्व का तीसरा सप्तक पूरा हआ। लिखित त्यागपत्र १९८४ १७६ : प्रसाद वाङ्मय
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