पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/४४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

देवीप्रसाद, बैजनाथप्रसाद, गिरिजाशंकर, जित्तू साव और गौरीशकर उत्पन्न हुए। दूसरी पत्नी से ही वंश चला। देवीप्रसाद की पांच सन्तान हुई । सबसे बड़ी देवकी थी-इन्ही के पुत्र अम्बिका प्रसाद गुप्त थे, जिन्होंने 'इन्दु' निकाला था। देवकी के बाद शम्भुरत्न, उनके बाद सेवकी, फिर प्यारी और सबसे छोटे पयशकर । शम्भुरत्न का एक लड़का हुआ और मर गया । सेवकी और प्यारी नावल्द ही रही। बैजनाथ प्रसाद के दो लड़के हुए, जिनकी मृत्यु हो गई। गिरिजाशंकर के दो पुत्र हुए-भोलानाथ और अमरनाथ । जित्तू साव का एक पुत्र हुआ -शिवशंकर । गौरीशंकर नावल्द रहे। एक तरफ शम्भुरत्न और प्रसाद । दूसरी तरफ गिरिजाशंकर और उनके दो पुत्र-भोलानाथ और अमरनाथ । तीसरी ओर शिवशंकर । हिन्दू परिवार की परिपाटी के अनुसार जो घर मे सबसे बड़ा होता है, वही 'मालिक' होता है। अतएव शम्भुरत्न ही मालिक थे। उनका खर्च लम्बा था और बड़े ठाट-बाट से वह रहते थे। ___ शम्भुरत्न के चाचा गिरिजाशकर ने विरोध आरम्भ किया। उनका कहना था कि सबका खर्च बराबर होना चाहिए।' धीरे-धीरे कलह का रूप बढने लगा। यहां तक कि जीवन-मरण का प्रश्न उपस्थित हुआ। दोनो ओर से गुण्डे रक्षा के लिए नियुक्त हुए। जब मामला आपसी पंचायत मे तय नही हुआ, तब अदालत में मुकदमा चला। . मूल झगड़ा नारियल बाजारवाली दुकान के लिए था। गिरिजाशंकर उसे लेना चाहते थे और शिवशंकर भी वही चाहते थे, किन्तु अधिकार उस पर शम्भुरत्न का था। उस समय सुर्ती के व्यवसाय मे अनेक प्रतिद्वन्दी नही थे। एक मात्र मुंघनी साह की दूकान ही प्रसिद्ध थी। दूकान पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती और पैसे बरसते रहे। प्रसादजी ने एक बार मुझसे कहा था कि उनके परिवार मे जब कभी कोई काम-काज (विवाह आदि) पडता, तो दूकान मे फेके हुए 'डबल' (उस जमाने के यह पुराना इतिहास है। इन छ. भाइयो के मध्य एक बहन भी थी जिसका विवाह अहरौरा मे साहू बेचूलाल कन्हैयालारा के परिवार मे हुआ था साहु कन्हैयालाल उनके पुत्र-यशस्वी व्यवसायी हुए। (सं०) १. कलह के अन्य कारण भी थे। (सं०) १६६ : प्रसाद वाङ्मय