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राजा ने वररुचि पर शंका करके शकटार को उसके मार डालने की आज्ञा दी। पर शकटार ने अपने उपकारी को छिपा रक्खा। ___ "योगनन्द के पुत्र हिरण्यगुप्त ने जंगल में अपने मित्र रीछ से विश्वासघात किया। इससे वह पागल और गूंगा हो गया। राजा ने कहा-'यदि वररुचि होता, तो इसका कुछ उपाय करता।' अनुकुल समय देखकर शकटार ने वररुचि को प्रकट किया। वररुचि ने हिरण्यगुप्त का सब रहस्य सुनाया और उसे निरोग किया। इस पर योगनन्द ने पूछा कि तुम्हें यह बात कसे ज्ञात हुई ? वररुचि ने उत्तर दिया'योगबल-से; जैसे रानी के जांघ का तिल ।' राजा उस पर बहुत प्रसन्न हुआ; पर वह फिर न ठहरा और जंगल में चला गया। शकटार ने समय ठीक देखकर चाणक्य द्वारा योगनन्द को मरवा डाला और चन्द्रगुप्त को राज्य दिलाया।' दुण्ढि ने भी नाटक मे वृषल और मौर्य शब्द का प्रयोग देखकर चन्द्रगुप्त को मुरा का पुत्र लिखा है; पर.पुराणों मे कही भी चन्द्रगुप्त को वृषल या शूद्र नही लिखा है। पुराणों मे जो शूद्र शब्द का प्रयोग हुआ है, वह शूद्राजात महापदन के वंश के लिए है, यह नीचे लिखे हुए विष्ण-पुराण के उद्धृत अंश पर ध्यान देने से स्पष्ट हो जाएगा___ततो महामन्दी इत्येते शैशुनाकादशभूमिपालास्त्रीणिवर्ष शतानि द्विषष्ट्रयधिकानि भविष्यन्ति ॥३॥ महानन्दि सुतः शूद्रागर्भोद्भवोऽति लुब्धो महापद्मो नन्दः परशुराम इवापरोऽखिलक्षत्रान्तकारी भविता ॥४॥ ततः प्रभृति शूद्राभूमिपाला भविष्यन्ति सचैकच्छवामनुल्लंधित शासनो महापनः पृथिवी भोक्ष्यिन्ति ॥५॥ तस्याप्यष्टौ सुताः सुमाल्याद्या भवितारः तस्य च महापद्यस्यानुपृथिवीं भोक्ष्यन्ति महापद्मः तत्पुत्राश्च एकं वर्षशतमवनी पतयो भविष्यन्ति ततश्च नवचैतान नंदान् कौटिल्यो ब्राह्मणः समुद्धरिष्यति ॥६॥ तेषामभावे मौर्याश्च पृथिवीं भोक्ष्यंति कौटिल्य एव चन्द्रगुप्त राज्यभिषेयति ॥७॥ (चतुर्थ अंश अध्याय २४) __इससे यह मालूम होता है कि महानन्द के पुत्र महापद्म ने जो शूद्राजात थाअपने पिता के बाद राज्य किया और उसके बाद सुमाल्य आदि आठ लड़कों ने राज्य किया और इन सबने मिलकर महानन्द के बाद १०० वर्ष राज्य किया । इनके बाद चन्द्रगुप्त को राज्य मिला। __अब यह देखना चाहिए कि चन्द्रगुप्त को जो लोग महानन्द का पुत्र बताते हैं, उन्हें कितना भ्रम है; क्योंकि उन लोगों ने लिखा है कि -"महानन्द को मारकर चन्द्रगुप्त ने राज्य किया।" पर ऊपर लिखी हुई वंशावली से यह प्रकट हो जाता है कि महानन्द के बाद १०० वर्ष तक महापद्म और उसके लड़को ने राज्य किया। तब चन्द्रगुप्त की कितनी आयु मानी जाय कि महानन्द के बाद महापद्मादि के १०० वर्ष राज्य कर लेने पर भी उसने २४ वर्ष शासन किया ? मौर्यवंश-चन्द्रगुप्त : ५९