पृष्ठ:प्रसाद वाङ्मय रचनावली खंड 5.djvu/६०

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यह एक विलक्षण बात होगी यदि 'नन्दान्तं क्षत्रियकुलम्' के अनुमार शूद्राजात महापद्म और उसके लडके तो क्षत्रिय मान लिये जायें और -'अंत. परं शूद्राः पृथिवी भोक्ष्यन्ति' के अनुसार शूद्रता चन्द्रगुप्त से आरम्भ की जाय । महानन्द को जब शूद्रा से एक ही लड़का महापद्म था, तब दूसरा चन्द्रगुप्त कहाँ से आया ? पुराणों में चन्द्रगुप्त को कही भी महानन्द का पुत्र नही लिखा है। यदि सचमुच अन्तिम नन्द का ही नाम ग्रीको ने Xandramus रक्या था, तो अवश्य ही हम कहेगे कि विष्णुपुराण की महापद्म वाली कथा ग्रीको से ठीक मिल जाती है। ___ यह अनुमान होता है कि महापद्म वाली कथा, पीछे से बौद्ध-द्वेषी लोगों के द्वारा चन्द्रगुप्त की कथा मे जोडी गयी है, क्योकि उसी का पौत्र अशोक बौद्धधर्म का प्रधान प्रचारक था। ढुण्ढि के उपोद्घात से एक बात का और पता लगता है कि चन्द्रगुप्त महानन्द का पुत्र नही, किन्न मोर्य सेनापति का पुत्र था। महापद्मादि शूद्रागर्भोद्भूत होने पर भी नन्दवशी कहाये, नव चन्द्रगुप्त मुरा के गर्भ से उत्पन्न होने के कारण नन्दवशी होने से क्यो वञ्चित किया जाता है। इसलिए मानना पड़ेगा कि नन्दवश और मौर्यवश भिन्न हे। मौर्यवश अपना स्वतन्त्र अस्तित्व रखता है, जिसका उल्लेख पुराण, वृहत्कथा, कामन्दकीय इत्यादि पे मिलता है और पिछले काल के चित्तौर आदि शिलालेखो भे भी इसका उल्लेख है । इमी मौर्यवंश मे चन्द्रगुप्त उत्पन्न हुआ। चन्द्रगुप्त का बाल्य-जीवन : अर्थकथा, स्थविरावली, कथामरित्सागर और दुण्ढि के आधार पर चन्द्रगुप्त के जीवन की प्राथमिक घटनाओ वा पता चलता है। मगध की राजधानी पाटलिपुत्र, शोण और गगा से संगम पर थी। राजमन्दिर, दुर्ग, लम्बी-चौडी पण्य-वीथिका, प्रशस्त राजमार्ग इत्यादि रहे, राजधानी के उपयोगी किसी वस्तु का अभाव न था। खाँई, सेना, रणतरी इत्यादि से वह सुरक्षित भी थी। उस समय महापद्म का वहीं राज्य था। ___ पुराण मे वणित अखिल क्षत्रिय-निधनकारी महापद्म नन्द, या कालाशोक के लडको मे सबसे बड़ा पुत्र एक नीच स्त्री से उत्पन्न हुआ था, जो मगध छोड़ कर किसी अन्य प्रदेश मे रहता था। उस समय किसी डाकू से उसकी भेट हो गयी और वह अपने अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए उन्ही डाकुओ के दल मे मिल गया। जब उनका सरदार एक लडाई से मारा गया, तो वही राजकुमार उन सबो का नेता बन गया और उसने पाटलिपुत्र पर चढाई की। उग्रसेन के नाम से उसने थोड़े दिनों के लिए पाटलिपुत्र का अधिकार छीन लिया, इसके बाद उसके आठ भाइयो ने कई वर्ष तक राज्य किया। नवे नन्द का नाम धननन्द था। उसने गंगा के घाट बनवाये और उसके प्रवाह ६.: प्रसाद वाङ्मय