यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ११ )
२. ढांचा-यह पत्ती का वह भाग है जो उसे चौड़ा और फैला हुआ रखता है । यदि पत्ती में यह भाग न होता तो पत्ती तुमको फैली हुई कभी न दिखाई देती, बलिक सुकड़ी हुई गांठ सी मालूम होती।
३.तन्तु या जाल-यह पत्ती का वह भाग है जो कि उसके प्रत्येक भाग को खाना पहुंचाता है और पत्तियों को रंग भी यही भाग देता है।
४. सिरा-पत्ती का यह भाग उसको परनाले का
(अशोक की पत्ती) चित्र सं०४
Courtesy Dr. Ranjit Bhargava, Desc. Naval Kishore. Digitized by eGangotri