पृष्ठ:प्राकृतिक विज्ञान की दूसरी पुस्तक.djvu/६८

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पाठ १७ वर्षा ऋतु बालको ! वर्षा ऋतु में नदियों में बाढ़ आजाती है । और उनका पानी मैला हो जाता है । वृक्ष धुलकर साफ़ हो जाते हैं और सड़कों पर कीच हो जाती है । यदि तुम एक ऐसे दिन, जिस दिन खूब पानी पड़ चुका हो, अपने खेल के मैदान में जाओ तो तुमको बहुत से झील, टापू, उद्गम, जलडमरूमध्य, थलडमरूमध्य इत्यादि लघुरूप में देख पड़ेंगे । तुम उनको ध्यान से देखोगे तो ज्ञात होगा कि एक स्थान की धूल वह कर दूसरे स्थान पर चली गई है । मैदान धुल गया है और बजरी सी चम- कती है। अब तुम स्वयं एक पानी के गढ़े से एक छोटी सी नहर बनाकर किसी दूसरे गड्ढे की ओर ले जाओ । और तुम भी झील, टापू, दोआबा इत्यादि बनायो । इनका चित्र अपनी कापियों में बनायो और प्रत्येक का नाम लिखो । इस प्रकार का एक चित्र बनायो। Courtesy Dr. Ranjit Bhargava, Desc. Naval Kishore. Digitized by eGangotri