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पृष्ठ:प्राचीन चिह्न.djvu/१०३

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कुतुब-मीनार


के जरनलो मे प्रकाशित किये हैं। कई पुस्तकें भी इन विषयों पर उन्होंने लिखी हैं। देहली के पठान बादशाहों पर जो किताब उन्होंने लिखी है वह ऐतिहासिक तत्वों से भरी हुई है। टामस साहब की विद्वत्ता, गवेषणा और श्रम का विचार करके आश्चर्य होता है। कुतुब मीनार के विषय मे उन्होंने जो मत प्रकाशित किया है उसे हम थोडे मे यहाँ पर लिखते हैं।

पृथ्वीराज का पराभव करनेवाले और उसके साथ ही हिन्दू- साम्राज्य का सर्वदा के लिए अन्त करनेवाले मुइज्जुद्दीन मुहम्मद बिन साम के नाम से पाठक अवश्य ही परिचित होंगे। वह गोर देश से यहाँ आया था। इसलिए यहाँ वह मुहम्मद गोरी के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। कुतुब मीनार के नीचे के खण्ड में कई लेख हैं जिनमे उसका नाम है। उनमे से एक यह है——

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अक्षरान्तर——

अस्सुल्तानुल्मुअज्जम, शहनशाहउलाजम, मालिके रका- वुल-उमम, मौलाये मलूकुल अरब व उल-अजम, सुल्तानुस्सला- तीन फ़िल आलम, गयासुदुनिया व दोन x x x x अवुल्मुजफ्फर मुहम्मद विन साम कसीम अमीरुल्मोमनीन खुल्द अल्लाह मुल्कहू।