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प्राचीन चिह्न


भी एक गुफा-मन्दिर ऐसा ही है। जान पड़ता है, यह उसकी नकल है। यह बहुत बड़ा मन्दिर है। यह १४८ फुट चौड़ा और १४९ फुट गहरा है। इसमे और-और पौराणिक दृश्यों के सिवा शिव-पार्वती के विवाह का दृश्य विशेष वर्णनीय है। उमा और महेश्वर बाये हाथ मे कमल-पुष्प लिये हुए विवाहमण्डप में बैठे हैं। कुछ नीचे, दाहिनी तरफ, घुटना टेके हुए त्रिशिरा ब्रह्मा, अग्नि के पास, पुरोहित का काम कर रहे हैं। फूल और नारियल लिये हुए, बाई तरफ़, मेना और हिमवान् कन्या- दान के लिए प्रस्तुत हैं। ऊपर की ओर देवी और देवता मण्डप को सुशोभित कर रहे हैं। विष्णु गरुड पर हैं, यम भैंसे पर हैं; वायु हिरन पर हैं, अग्नि बकरे पर हैं। दाहिनी तरफ़ ऐरावत पर इन्द्र और मकर पर निऋति हैं।

इस मन्दिर में वीरभद्र की एक मूर्ति बहुत ही विशाल और भयावनी है।

[जनवरी-फरवरी १९०४


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