पृष्ठ:प्राचीन चिह्न.djvu/५९

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५——खजुराहो

काल बड़ा बली है। जहाँ नदियाँ था वहाँ मरुस्थल हैं, जहाँ लहराते हुए खेत थे वहाँ गगनचुम्बी पर्वत हैं; जहाँ विशाल-शिखर राजप्रासाद थे वहाँ निबिड़ कानन है। यह काल ही की करतूत है। खजुराहो के साथ काल ने कराल कुटिलता का व्यवहार किया है। उसकी सारी समृद्धि का उसने संहार कर डाला; विश्वकर्मा के भी शिल्प कर्म को मात करनेवाली अनेक इमारतों को उसने ख़ाक़ में मिला दिया; बड़े-बड़े पराक्रमी राजों, परमार्थज्ञानी पण्डितों, प्रति-कुबेर धनाढ्यो का नाम तक नसने शेष न रक्खा ! सचमुच काल बड़ा बली है; उसका प्रतिद्वन्द्वी संसार में नही । खजुराहो को उसने क्या से क्या कर डाला। एक वह समय था जब वह, हज़ारों वर्ष तक, एक विस्तृत प्रदेश की राजधानी था। एक यह समय है कि लोग उसका नाम तक नही जानते ।

अबू रैहॉ, इब्न बतूता और हेन-साग के ऐतिहासिक लेखों से मालूम होता है कि बुंदेलखण्ड का प्राचीन नाम जजोती, या जझोती, या जझावती था। यह शब्द यजुर्होता या जेजाक-भुक्ति का अपभ्रंश जान पड़ता है। यहाँ यजुर्होता, अर्थात् जजोतिया, लोग रहते थे। जैसे कान्यकुब्ज-देश के नाम से कान्यकुब्ज, मिथिला के नाम से मैथिल और द्रविड़ के नाम से द्राविड़ लोगों