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श्रीरङ्गंपत्तन

कुछ दूर पर लाल बाग नाम का एक बागीचा है। उसमे हैदर और टीपू की क़बरें हैं। इस मकबरे के किवाड़े हाथी- दाँत से खचित हैं। उन्हें लार्ड डलहौसी ने दिया था। इसकी सफाई और देख-भाल गवर्नमेट के खर्च से होती है। टीपू की कबर पर एक लेख, पद्य में, है। उसमे उसकी मृत्यु की तिथि वगैरह लिखी है। इसी लाल बाग मे कर्नल बेली का भी एक छोटा सा सादा स्मारक है। टापू की कैद में, १७८२ ईसवी मे, वही उनकी मृत्यु हुई।

यदि किसी को श्रीरङ्गपत्तन देखने का अवसर हाथ लगे तो उसको कावेरी का प्रपात अवश्य देखना चाहिए। श्रीरङ्ग- पत्तन से ३३ मील पर मदूर नाम का स्टेशन है। वहाँ से कावेरी का प्रपात कोई २५ मील है। वहाँ गाड़ी पर जाना होता है; रेल नहीं है।

कावेरी में कई टापू हैं। श्रीरङ्गपत्तन भी टापू है। एक टापू और है, उसका नाम है शिवसमुद्रम् । इसी शिवसमुद्रम्के पास कावेरी का प्रपात है। माइसोर राज्य मे कावेरी की चौड़ाई सिर्फ ३०० से ४०० गज़ तक है। परन्तु जहाँ काबनी नामक नदी उसमे आ मिलती है वहाँ से उसकी चौड़ाई बहुत अधिक हो जाती है; और, साथ ही, उसका वेग भी बहुत बढ़ जाता है। शिवसमुद्रम् के पास कावेरी बहुत ही । विकराल रूप धारण करती है। वहाँ, बाढ़ के समय, प्रति सेकण्ड २, ३९, ०००, धन फुट पानी उससे गिरता है। जहाँ