नवमृति काइ वर्ष टुप, रमारे मित्र पटिनामावगर, बंकटेश लेले पी, पई में, एक प्राचीन हम्न लिखित माननीमाधर को पुस्तक मिली । उसमें "महकुमारिलमिप्यमहभभूति" लिखा है। "गोवध" को भूमिकाम भी लिया है किदीर में मालतीमाधर को एक पुस्तक मिली है, जिसमें "इति- पुमारिल शिघ्यरत" लिखा है । पुमाग्लि मह सप्तम शनादी के अन में हुए हैं। अतएर भरभूति का अहम शवानी के सादि में होना मप्र प्रसार मुमगत है। शंकरदिग्विजय में लिम्बाई कि बिगालमनिका और पाखरामायण मालिक का राजशश यही शकराचार्य गए थे और उनके बनाए. नाटकमाचार्य ने देने। इससे गोबर और शंकर को ममकालीनता पर होती है। गजशेयर पायालरामायण में मिलते है- पभूध पत्मीपभुर. फति पुग मन प्रपेट गुपि म मधुशाम् पिन पुनयों नयभूतिषया सपने मानि राजर अपांना पागा मोपिपिए। शिरमरिम निया, नर्भरी नपभूति नाम से ममिया गम्बरप मेंrime मानों में IIMarमिनी उम्स गए लिपिक
पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/१३
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