पृष्ठ:प्राचीन पंडित और कवि.djvu/६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
७६
प्राचीन पंडित और कवि

प्राचीन पंडिन और कवि यद्यपि कवि ने अपनीही और अपने सरक्षक की प्रशंसा के देश के ढेर लगा दिये है, तथापि अपने माता पिता श्रार निवास स्थान का कुछ भी हाल नहीं लिसा । श्रतएव हम उसका विशेप वृत्तात जानने में असमर्थ है। हम इतना ही जानते है कि उसने एक विद्वान् घराने में जन्म लिया था। उसले प्रथ ने इतना और भी पता लगता है कि वह अद्वैन गत की अनुयायिनी थी। इम काव्य की हम्त-लिखित पुस्तक तैलगी लिपि में है। पंसा जान पड़ता है कि वह स्वय मधुरवाणी के हाथ की लिनी हुई है, ध्योकि उसमें जो संशोधन किये गये हव पुस्तक के मूल लेखक हो के हाथ के मालूम होते है पुरनक मारसोर-मात में पाई गई है। नायक-राजाओं के समय में तजोर और माइमोर में घनिष्ठ संबंध था । इन सब बातों से सिद्ध होता है कि मधुरवाणी माइमार प्रांत ही की रहनेवाली थी। सेर, जो हो, इसमें सदेह नहा कि वह नारी रत थी। वह अपने समय की शिक्षिता स्त्रियों में शिरोमण थी। मालूम होता है कि उस समय स्त्री-शिक्षा उन्नतावस्था में थी। उस तरफ विदुपी आर कला कुशल स्त्रियों की कमी न थी। नरेले रघुनाथ नायक ही के दरबार में अनेक विद्यानों और कलानों में निपुण कितनी ही स्त्रियाँ विद्यमान थीं। यह बात आगे लिखे श्लोकों से मालूम होती हे-