पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/१३४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सातवां प्रभाव [भूमि-भूषण वर्णन ] (अर्थात् ) भूतल पर के प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन मूल-देश, नगर, बन, बाग, गिरि, आश्रम, सरिता, ताल । रबि, शशि, सागर, भूमि के, भूषण ऋतु, सव काल ॥१॥ भावार्थ-देश, नगर, पन (तथा उपबन ), बारा, पर्वत, मुनियों के आश्रम, नदी, सरोवर, सूर्य (सूर्योदय तथा सूर्यास्त) चन्द्र (चंद्रोदय तथा चंद्रास्त ), समुद्र, वटऋतु, तथा बारहो महीने ( और उन महीनों के अंतर्गत त्यौहार वा विशेष उत्सव)-इनके वर्णनों को भूमि-दूषण कहते हैं। (देश वर्णन) मूल-रतनखानि, पशु, पक्षि, बसु, बसन सुगंध सुबेष । नदी, नगर, गढ़, अरनिये भाषा, भूषण देश ॥२॥ भावार्थ-किसी देश के वर्णन में इतनी वस्तुओं का वर्णन ज़रूरी है :-रखानि, पशु, पक्षी, धन, कपड़े, सुगन्ध सौन्दर्य, नदी, नगर, गढ़, भाषा और पहरामा । (यथा) मूल-आछे आछे असन, बसन, बसु, बासु, पशु, द्वान, सलमान, यान, बाहन बखानिये।