पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/१३५

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प्रिया-प्रकाश लोग, भोग योग, भाग, बाग, राग, रूफ्युत, भूषनान भूषित, सुभाषा मुख जानिये ।। सातो पुरी तीरथ, सरित, सब गंगादिक, केशोदास पूरण पुराण, गुन गानिये । गोणाचल ऐसे गढ़, राजा रामासिंह जू से, देशनि की माणे. माहि मध्यदेश मानिये ॥३॥ शब्दार्थबाट -घर, मकान । यान = पालकी, हाथी, घोड़े रथादि । भोगयोग = भोग सामन्त्री ! राम = संगीत । मध्या- प्रदेश - वह देश जिसे अब 1. कहने है। चन्देरी' नगर में इस देश की राजधानी थी। राजा रामसिंह जी वहीं रहते थे। गोपाचल = अनुमान से ग्वालियर जान पता है। , मावाथ-सरल और स्पष्ट है ( इस छंद में उसी देश का वर्णन समकिये जहां रामसिंह जी राज्य करते थे)। ( नगर वर्णन) मूल-खाई, कोट, अटा, ध्वजा, बापी कूप, तडाग । बारनारि. असती, सनी, बरनहु नगर सभाग ॥४॥ शब्दार्थ-कोट = शहरपनाह । चारनारि-पेश्या । असती- परकीया। सती = वकीया। समाग -हिासेपार। (नोट)-प्राचीन साहित्य ने नगर के कई विशेष भागों का वर्णन पाया जाता है, जैसे (१)-राजनिवास भाग (२)- ब्रसन्निधास भाग (३)बानिवास भाग (छावनी),(४) वैश्यनिवास भाग (हार, वासर), (५)-शूद्रलियास भाग, (६)-पशुपालनिवाल भाग (७)-राजसेवकनिवास भाग इत्यादि इत्यादि।