पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/३००

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प्रिया-प्रकाश अति अमल सकल=अतिनिर्मल कलावान चन्द्रमा। विधि- ब्रह्मा । सदल सुरसेना सहित । सफल = चारो फल प्राम हैं जिसे । बहु सरस संगीत सौ = संगीत सुनने के बड़े शौकीन हैं। विविधि सुबास युत= विविधि प्रकार के बस्त्रो सहित हैं। केशोदास नारायण के दास हैं। आस पास राज द्विजराज-ब्राह्मणों ऋषियों से घिरे हुए हैं। (राजा पक्ष का) विधि == राजकाज विधि। सफल बहु सरस संगीत सो संगीत कला में पारंगत है। (भेद यह है) लोचन - इन्द्र के हजार लोवन, राजा के दो। बचन = इन्द्र देवभाषा बोलते हैं, राजा नर भाषा । गति = इन्द्र आकाश में विचरते हैं, राजा पृथ्वी पर चलता है। भावार्थ-इन्द्र और राजा इन्द्रजीत दोनों चराचर हैं, क्योंकि इन्द्र शिव, विष्णु, चंद्रमा, ब्रह्मा और सुर सेना सहित रहते हैं और राजा सुन्दर हैं प्रजा को सुखद हैं, राजविधान ( कानून ) मैं अति निर्दोष हैं। इन्द्र को चारो फल प्राप्त हैं और संगीत के परम रसिक हैं-राजा स्वयं संगीत कला में पारंगत है, दोनो विविध प्रकार के वस्त्र धारण किये हैं, दोनो नारायण के दास हैं, दोनो ब्राह्मणों से घिरे रहते हैं, दोनो के तन परम पुनीत हैं, दोनो हर समय बरदान देने को उत्सा- हित रहते हैं, दोनो मित्र शत्रु की कामनाएं पूर्ण करते हैं, पर दोनों में भेद इतना है कि इन्द्र सहस्र लोचन हैं-राजा युग लोचन हैं, इन्द्रदेवभाषा बोलते हैं, राजा नरभाषा, और इन्द्र नभगामी है, राजा धराचारी हैं । इन तीन बातों के सिवाय (बिन ) दोनो सब तरह से बराबर हैं।