पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/३४४

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तेरहवा प्रभाव 'प्रभाकर मंडल' कहते हैं। इस पहेली में इसी 'प्रभाकरमंडल का वर्णन है। असा ( चारमुख), विषणु' (एक), शिव (पंचमुख), सर- मजती, लक्ष्मी, पार्वती, हस, गरुड, दैल, सूर्य, अरुण (सारथी), सूर्य के अश्व (सात) और सूर्य की दो स्त्रियां (संध्या और छाथा), इन सब के मिलकर २७ सिर, ५६ नेत्र, ५६ चरण और २० बाहु होते हैं। (पुनः) मूल-चरण अठारह बाहु दस, लोचन सत्ताईस । मारत हैं प्रतिपाल कर, सोभित ग्यारह सीस ॥ ३२ ॥ भावार्थ-विक्षा, लक्ष्मी और गरुड़, शिव और वृषभ, तथा पार्वती और सिंह । ये सब मिलकर एकत्र । मूल-नौ पशु नवही देवता द्वै पक्षी जहि गेह । केशव सोई रक्षि है इन्द्रजीत की देह ॥ ३३ ॥ भावार्थ-ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सावित्री, लक्ष्मी, पार्वती, हंस, गरुड, वृषभ, सिंह, सूर्य और उनके सात अश्व सहित एकत्र । नौ पशु-७ धोड़े १ वृषभ १ सिंह। नव देवता ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सावित्री, लक्ष्मी, पार्वती, सूर्य और चंद्रमा तथा श्रशिशिव के मस्तक के । छै पक्षी - गरुड़ और हंस। (पुनः) मूल-देखै सुनै न खाय कछु, पायँ न, युवती जाति । केशव चलत न हारई, वासर गिनै न राति ॥ ३४ ॥