पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४२३

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प्रिया-प्रकाश (नोट) इसमें १० प्रश्न हैं। जिनमें से ८ के उत्तर तो ध्यस्त गतागत ढंग से निकलते हैं और अंतिम दो प्रश्नों के उत्तर पदों के मित्रार्थ करने से निकलते हैं। शब्दार्थ---पर-शत्रु । श्रापु विनि- (श्राप विषयिन ) अपने संबंधी अर्थात् स्त्री पुत्रादि । के-कौन अहिमेघ सर्पयश । (ध्याख्या) इसमें उत्तर के अक्षर हैं.-"जनमेजय" (मरण रखो कि चित्रालकारों में 'ज' और 'य' एक सम मान लिथे जाते हैं। अब प्रश्नोत्तर यो समझिये :- प्रश्न १-दास को क्या कहते हैं। १-जन। २ शत्रु से नीति पूर्वक २-नमे (मन हुए, पराजित हुए) क्या कहना चाहिये? २-प्रमाण की बात को न्याय ३-मेय (सौली दुई-ठीक ) पूर्वक क्या कहना चाहिये ? Y-राजाओं को क्या उपदेश ४-जय ( जय करो) देना चाहिये। (अब उलट कर) ५ अप काहे से भला लगता है ? ५-यज (दान वा यश से) ३-नीति बजने से किसका भय है १६-जमैं ( यमराज का) अपने संबंधी से बातें कैसे ७-मैन (मोम सी मुलायम) कहना चाहिये। क्या न होने से राजी की -जय (नीति) छ्य होती है।