पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४२५

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४२२ प्रिया-प्रकाश (पुनः) मूल-कंठ बसत को सात, कोक कहा बहु बिधि कहै । को कहिये सुरतात, को कामी हित 'सुरत रसु' ।। ६० ॥ व्याख्या-इस में खूबी यह है कि इसके उत्तर में ऐसे शब्द रखे हैं कि चाहे सीधे पढ़ो चाहे उलटे पढ़ो, बात एकहा होगी । यथाः- प्रश्न १--कंठ में कौन सात बसते हैं ? १-सुर (सात स्वर) २-कोक शास्त्र क्या कहता है ? २-सुरत ३-देवताओं का प्यारा कौन है ? ३-सुरतर (कल्प वृक्ष) ४-कामियों का हितू क्या है ? ४-सुरत रसु (संभोग) (शासनोत्तर) -दोय तीनि शासननि को एकहि उत्तर जानि । शासन उत्तर कहत है बुध जन ताहि बखानि । ६१ । भावार्थ-दो तीन बातों का जवाब एकही बाल में दिया जाय, इसी को शासनोत्तर अलंकार कहते हैं। (नोट)-इसको उर्दूवाले दो सखुना' या 'सेह सखुना' कहते हैं। अमीर खुसरो ने इस अलंकार में अच्छी कविता की है। उसे देखिये। नीचे लिखा हुश्रा उदाहरण 'सेह सखुना' है अर्थात तीम तीन बातों का जवाब एकही बात में दिया गया है। इसी प्रकार दो बातों या चार बातों का जवाब भी एक बात में कहा जा सकता है । कबि की बुद्धि पर निर्भर है।