पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४२८

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सोरहवा प्रभाव (प्रश्नोत्तर) सूस-जोई आखर प्रश्न के तेई उत्तर जानु । यहि बिधि प्रश्नोनर सदा कहैं सुबुद्धि विधान ॥६॥ भावार्थ-इसमें प्रश्न के अक्षर ही उत्तर होते हैं। (यथा) मुस-को दंड प्राही सुभट ? को कुमार रतिवंत है। को कहिये ससि ते दुखी ? कोमल मन को संत ! ॥६४॥ भावार्थ-(प्रश्न) कौन सुभट दंड ग्राही होता है अर्थात् सब से दंड (कर) वसूल कर सकता है ? (उत्तर)-को दंड पाही सुमट अर्थात् वह सुभद जो धनुषधारी होता है । (प्रश्न) को कुमार रतिवंत कौन कुमार ( युवा ) प्रेमी होता है ? ( उत्तर ) कोकु मार रतिवंत- जो कोकु (कोक शास्त्र ) और मार ( कामदेव ) से प्रेम रखता है। (प्रश्न ) चंद्रमा से दुखी किसको कहना चाहिये ? (उत्तर) कोक हिये ससित दुखी कोक (चकवा ) का हृदय चंद्रमा से दुखी रहता है । (प्रश्न) हे संत (सज्रन) कोमल मन का कौन होता है ? (उत्तर) कोमल मन का संत होता है अर्थात् संत कोमल मन होता है। मोट---खूब गौर से देखो कि जो अक्षर प्रश्न के हैं , बहरे अक्षर कुछ हेर फेर से उत्तर हो जाते हैं। (पुनः) मूल-कालि काहि पूजे अली, को किल कंठहि नीक । को कहिये कामी सदा, काली का है लोक ॥६५॥