पृष्ठ:प्रिया-प्रकाश.pdf/४३९

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प्रिया-प्रकाश की स्थिति को यथावत् रखते हैं ) और ये ही मर्यादा के नोट-इस दोहे को तीन प्रकार से चित्र में भर सकते हैं। } बा | दे । गु दे ग । प ! कु | र । ह ! धा| राम बन देव तिए | शुध न म धा वाम | वगु देव तिप कुधन ह| धा राम नर गति शुध मद । देव देव पर | रन धारि | बाम गुरु गति कुध । हद । (चरण गुप्त) मूल-राजत अँग रस बिरस आति सरस सरस रस भेव । पग पग प्रति दुति बढ़ति अति वय नव मन मति देव ।।७४॥