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तीसरा प्रभाव


मावार्थ-नीचे लिखा कोष्ट देखकर समझियेः- गणयोग सिद्धि मित्र+मित्र मित्र+दास मित्र+ उदासीन विजय गोत्र दुखदाई मित्र + शत्रु बंधु हानि दास + मित्र दास + दास दास + उदासीन दाश शत्रु उदासीन + मित्र उदासीन + दास उदासीन + उदासीन उदासीन + शत्रु कार्यसिद्धि सर्वजीव वश घन नाश पराजय,मित्र भी शत्रुहो अल्प फल प्रभुता प्राप्ति बिफल सुखन मिले शत्रु+ मित्र शY + दास शत्रु + उदासीन शत्रु+ शत्रु विफल नारिनाश कुलनाश नायकनाश मूल-राधा राधारमन के, मन पठेयो है साथ । उद्धव ह्यां तुम कौनसा; कहो योग की गाथ ॥३०॥ कहाँ कहा तुम पाहुने, प्राणनाथ के मित्र । फिर पीछे पछिताहुगे, ऊधो समुझौ चित्त ॥३१॥