बहुत न इतराइये खुदा के लिए,
अभी सिन वो साल क्या है।
ए तेज कदमी अवस है साहब,
समझ के चलिए ये चाल क्या है।
ए फरशे गुल है जनाबे आली,
बताइए फिर खयाल क्या है।
गजब है अटखेलियों से आना,
सँभल के चलिए ए चाल क्या है।
मचाये महेशर ये चुलबुलाहट,
कि चाल तेरी मोहाल क्या है।
जिलाओ मुर्दों को ठोकरों से,
जो तुम मसीहा कमाल क्या है।
अजीब दाना धरे है सइयाद,
गाल अनवर पर खाल क्या है।
फँसा लिया तायरे दिल अपना,
ए बाल जंजाल जाल क्या है।
पहाड़ ढाहैं हमारी आहैं,
जलायें जंगल जमी हिलाएं।
जो सीनये चर्ख चीर डालें,
हमारे नाले कमाल क्या है।
जो इश्क सादिक हो आदमी को,
रहै जो साबित कदम तो फिर वह।
मिलै खुदा शक नहीं कुछ इसमें,
विसाल इन्सा मुहाल क्या है।
मजा है फुरकत में जो अजीजी,
है जिसमें मिलने की रोज चाहत।
भला हो जिसमें जुदाई आखिर,
बताओ लुफ़्के विसाल क्या है।
पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/४९४
दिखावट
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
—४६९—