पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/४९५

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परी सा क़द वो चाँद सी सूरत,
अदा वो अन्दाज वो हूर गिलमां।
कहूँ न क्या तुमसे ऐ अजीजो,
मेरा वो जादू जमाल क्या है।
बगैर खुशबू के गुल हैं जैसे,
बिला मुरव्वत है चश्मे नरगिस।
उसी तरह से वगैर सीरत,
हुआ जो हुस्नो जमाल क्या है।
अगर हो मुमकिन जो तुझसे नेकी,
बजा है तेरे जहां में जीना।
वो गर न जो एक दिन है मरना,
हिफ़ाजते गंजी माल क्या है।
गदाई तेरी गली की हमने किया है,
मुद्दत तक ऐ सितमगर।
मगर न पूछा कभी ए तूने,
कि हाय तेरा सवाल क्या है।
सन शबेतार हैं ऐ जुल्फैं,
शफ़क सा है माँग में ए सिन्दू।
ग्वया सितारे हैं सब ए दन्दां,
जवीन मिसले हिलाल क्या है।
गुलों को शरमिन्दगी है रंगत से,
मेह मुनवर चमक से नादिम।
अजीब हैरान आइना है,
ए साफ़ सफाफ गाल क्या हैं।
गिला वो जारी हमारी सुनकर,
चढ़ा के तेवर वह शोख बोला।
ए झूठे आंसू बहाइए मत,
बताइए साफ हाल क्या है।