पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/४९६

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लखूकहां दिल बगैर कीमत हैं,
रोज लेते न सिर्फ तेरा।
नहीं जो मंजूर फेर देंगे फिर,
इसमें जाये सवाल क्या है।
दिया है जब नक्त दिल तुम्हें तब,
लिया है बोसा जनावआली।
बराये इनसाफ आके कहिए,
कि इसमें जाए मलाल क्या है।
उदास बैठे हो सर्वजानू,
नजर चुराते हो हाय हम से।
रखाये हो दिल कहाँ बताओ,
जनाबे आली हवाल क्या है।
अगर बे हों फरहादी कैसमजनू,
वो हमको उस्ताद करके मान।
रक़ीब बुजदिल मेरे मुक़ाविल,
सहै जफायें मजाल क्या है।
किसी शहे हुस्न महेलका ने,
किया तुझे क्या असीर उल्फत।
उदास हो क्यों बतावो बदरी,
नरायन अपनी कि हाल क्या है।
खराब खिस्ता जलील रुसवा,
मतूँव बेदीं कहै जहाँ गर॥
मगर जो हैं मस्ते जामे उल्फत,
उन्हें फिर इसका खयाल क्या है॥९॥

रेख़ता


अजब दिलरुबा नंद फ़रज़न्द जू है।
इक आलम को जिसकी पड़ी जुस्तजू है।