लावनी
किस गोकुल के दिलवर की यादगारी है।
क्या हाय बन गई यह शक्ल तुमारी है॥टे॰॥
सच बतलाओ यह कैसी बेकरारी है।
आहो नालो से अयाँ इन्तिशारी है॥
चश्मों से चश्म ए अश्क क्यूँ प जारी है।
छा रही उदासी चेहरे पर न्यारी है॥
मंजूर कहो यः किस मैं जां निसारी है।
बतला तो कैसी तुझको बीमारी है॥
खाई तूने यह कहा जख्म कारी है।
किस कातिल की लगी चश्म की कटारी है॥
किस जालिम की तुझ पै य सितमगारी है।
किस दामें जुल्फ में हुई गिरफ्तारी है॥
भा गई तुझै किस गुल की तरहदारी है।
किस बुलबुल की सुनली खुश गुफ्तारी है॥
बस गई दिल में किसकी सूरत प्यारी है।
किस रश्के कमर से हुई नई यारी है॥
किसके फिराक में ऐसी लाचारी है।
बद्री नारायन यः कैसी गमख्वारी है॥
किस शाकी के मये इश्क की खुमारी है।
क्यों दिल को ऐसी हुई सोच भारी है॥
बतलाओ तुम को कसम अब हमारी है।
किस पर जनाब जंगल की तैयारी है॥१६॥
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है इश्क बुरा जंजाल मेरे ऐ प्यारे,
सब चातुर सयाने लोग जहाँ पर हारे॥टेक॥
लैली पै बनाया मजनू को सौदाई,
फरहाद देख शीरी की जान गवाई॥