दूसरी
बनारसी लय
नाहीं भूलै सूरति तोहार मोरे बालम॥
जैसे चन्द चकोर निहारै, तैसे हाल हमार मोरे बालम
और ओर जिय लागत नहिं करि, थाकी जतन हजार मो॰
पिया प्रेमघन तुमरे बिन मन करत रहत तकरार मो॰॥९०॥
नटिनों की लय
पिया २ कहां? न सुनाव रे पपिहरा॥
संजोगिनी मुखी सुमुखिन कहं, भय वियोग न जनाव रे प॰
व्याकुल बिरही बनितन मन क्यों कहर पीर उपजाव रे प॰
निठुर! प्रेमघन बनिकै तैं जिनि काम कटार चलाव रे पपिहरा॥
दूसरी
जुलमी जोबनवां तोहार सांवर गोरिया॥
छतियन पर अस उभरे देखौ, जैसे कोर कटार सांवर गो॰
राह बाट घर बाहर सगतौं, चलत मचावैं तकरार सां॰ गो॰
लगत न हाथ पसारि प्रेमघन कीनें जतन हजार सां॰ गो॰
गवनहारिनों की लय
वृजभाषा भूषित
कुञ्ज गलीन भुलाय गई गुय्याँ रे॥
कौन बतैहै गैल आय अब;
यह जिय सोच समाय गई गुय्यां रे॥
इतन मैं इक छैल छली की;
लखि छबि छकित लुभाय गई गुय्यां रे॥
नेरे आय, सैन सर मारयो;