यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
—५३२—
दूसरी
गोरी गोरिया
पिया के तो लिहलीं लोभाय, गोरी गोरिया।
अँगरेजी पढ़ि गयनि बिलाइत, लौटत अवलैं लियाय गो॰ गो॰।
काले साहेब भये निराले, अनमिल मेल मिलाय गो॰ गो॰।
जूठ निवाले खांय, पियाले मद के पियहिं, पियाय गो॰ गो॰।
लोक लाज कुलकानि धरम धन, जग सुख दिहिसि नसाय गो॰।
बनि लंगूर बँदरिया के सँग, नाचहिं नाच रिझाय गो॰ गो॰।
करजौ काढ़ि नहीं धन अँटै, सरबस देइ उड़ाय गो॰ गो॰।
बिके दास बनिकै परबस, मन झीखत हुकुम बजाय गो॰ गो॰।
औरन सँग निज मेम प्रेम लखि, रोवहिं कहि कहि हाय! गो॰ गो॰॥
बनी जाल जंजाल प्रेमघन, छुटै न फन्द फँसाय गो॰ गो॰॥१३६॥
चण्डू बम्बू
प्रधान प्रकार की सामान्य लय
बम्बू बाय बाय मुहँ चूसः चण्डू पीयः हो चण्डूल॥
पीकर पिनक लेत हौ, मानो रहे झूलना झूल