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पृष्ठ:प्रेमघन सर्वस्व भाग 1.djvu/८

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जवाब मिला-"आप को बताने की ज़रूरत नहीं, मैं तो इनकी सूरत देखते ही इस बात से वाक़िफ़ हो गया।" मेरी सूरत में ऐसी क्या बात थी यह इस समय नहीं कहा जा सकता। आज से चालिस वर्ष पहले की बात है।

चौधरी साहब से तो अब अच्छी तरह परिचय हो गया था। अब उनके यहाँ मेरा जाना एक लेखक की हैसियत से होता था। हम लोग उन्हें एक पुरानी चीज़ समझा करते थे। इस पुरातत्व की दृष्टि में प्रेम और कुतुहल का एक अद्भुत मिश्रण था। यहाँ पर यह कह देना आवश्यक है कि चौधरी साहब एक खासे हिन्दोस्तानी रईस थे। बसंतपंचमी, होली इत्यादि अवसरों पर उनके यहाँ खूब नाच-रंग और उत्सव हुआ करते थे। उनकी हरएक अदा से रियासत और तबियतदारी टपकती थी। कन्धों तक बाल लटक रहे हैं। आप इधर से उधर टहल रहे हैं। एक छोटा सा लड़का पान की तश्तरी लिए पीछे पीछे लगा हुआ है। बात की काट-छांट का क्या कहना है।

जो बातें उनके मुंह से निकलती थीं, उनमें एक विलक्षण वक्रता रहती थी। उनकी बातचीत का ढंग उनके लेखों के ढंग से एकदम निराला होता था। नौकरों तक के साथ उनका सम्वाद निराला होता था। अगर किसी नौकर के हाथ से कभी कोई गिलास वगैरह गिरा तो उनके मंह से यही निकलता कि “कारे! बचा तो नाहीं!" उनके प्रश्नों के पहले 'क्यों साहब' अकसर लगा रहता था।

वे लोगों को प्रायः बनाया करते थे, इससे उनके मिलने वाले लोग भी उनको बनाने की फ़िक्र में रहा करते थे। मिर्जापुर में पुरानी परिपाटी के एक प्रतिभाशाली कवि थे, जिनका नाम था-वामनाचार्य गिरि। एक दिन वे सड़क पर चौधरी साहब के ऊपर एक कवित्त जोड़ते चले जा रहे थे। अन्तिम चरण रह गया था कि चौधरी साहब अपने बरामदे में कन्धों पर बाल झिटकाये खम्भे के सहारे खड़े दिखाई पड़े। चट कवित्त पूरा हो गया और वामन जी ने नीचे से वह कवित्त ललकारा, जिसका अन्तिम चरण था-"खम्भा टेकि खड़ी जैसे नारि मुगलाने की"।

एक दिन कई लोग बैठे बातचीत कर रहे थे, कि इतने में एक पण्डित जी आ पहुँचे। चौधरी साहब ने पूछा-'कहिये क्या हाल है?' पण्डितजी बोले 'कुछ नहीं, आज एकादशी थी, कुछ जल खाया है और चले आ रहे हैं।' प्रश्न हुआ 'जल ही खाया है कि कुछ फलाहार भी पिया है!'

एक दिन चौधरी साहब के एक पड़ोसी उनके यहाँ पहुँचे। देखते ही सवाल हुआ, “क्यों साहब, एक लफ्ज मैं अक्सर सुना करता हूँ, पर उसका ठीक अर्थ समझ में न आया। आखिर घनचक्कर के क्या मानी हैं, उसके क्या लक्षण हैं?" पड़ोसी महाशय बोले, 'बाह, यह क्या मुशिकल बात है। एक दिन रात को सोने के पहले