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निकलतेही, सत्राजीत मनि ले लजाय रहा औ श्रीकृष्णजी सतिभामा को ले बाजे गाजे से निज धाम पधारे श्री आनंद से सतिभामा समेत राजमंदिर में जा बिराजे।

इतनी कथा सुन राजा परीक्षित ने श्रीशुकदेवजी पूछा कि कृपानिधान, श्रीकृष्णजी को कलंक क्यों लगा सो कृपा कर कहो। शुकदेवजी बोले-राजा,

चाँद चौथ को देखियौ, मोहन भादो मास।
तासे लग्यौ कलंक यह, अति मन भयो उदास॥
और सुनौ
जो भादौ की चौथ कौ, चाँद निहारे कोय।
यह प्रसंग अवननि सुने, ताहि कलंक न होथ॥