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प्रेमाश्रम


प्रेम—जी हाँ, डेलीगेट लोग (प्रतिनिधिगण) आ गये होंगे?

राय—(हँस कर) मुझे अभी तक कुछ खबर नहीं और मैं है स्वागत करिणी समिति का प्रधान हूँ। मेरे मुख्तार साहब ने सब प्रबन्ध कर दिया होगा। अभी तक मैंने कुछ भी नहीं सोचा कि वहाँ क्या कहूँगा? बस मौके पर जो कुछ मुँह में आयेगा बक डालूँगा!

प्रेम—आपकी सूझ बहुत अच्छी होगी?

राय—जी हाँ, मेरे एसोसिएशन ने ऐसा कोई नहीं हैं, जिसकी सुझ अच्छी न हो। इस गुण नै एक से एक बड कर हैं। कोषाध्यक्ष महाशय को आय–व्यय का पता नहीं पर सभा के सामने वह पूरा ब्योरा दिखा देंगे। यही हाल औरों का भी है। जीवन इतना अल्प है कि आदमी को अपने ही ढोल पीटने से छुट्टी नहीं मिलती, जाति का मजीरा कौन बजाये?

प्रेम—ऐसी संस्थाओ से देश का क्या उपकार होगा?

राय—उपकार क्यों नहीं क्या आपके विचार में जाति का नेतृत्व निरर्थक बस्तु है? आज-कल तो यही उपाधियो का सदर दरवाजा हो रहा है। सरल भक्तों का श्रद्धास्पद बनना क्या कोई मामूली बात है? बेचारे जाति के नाम पर मरनेवाले सीधे–सादे लोग दूर-दूर से हमारे दर्शनो को आते हैं। हमारी गाड़िया खीचते हैं, हमारी पदरज को माथे पर चढ़ाते हैं। क्या यह छोटी बात है? और फिर हमनें कितने ही जाती के सेवक ऐसे भी हैं जो तारा हिसाब मन में रखते हैं, उनसे हिसाद पूछिए तो वह अपनी तौहीन समझेंगे और इस्तीफे की घमकी देंगे। इसी संस्था के सहायक मन्त्री को वकालत विलकुल नहीं चलती; परं अभी उन्होंने बीस हजार का ए बँगला मोल लिया है। जाति से ऐसे भी लेना है, वैसे भी लेना है, चाहे इस बहाने से लीजिए, चाहे उस बहाने से लीजिए!

प्रेम—मुझे अपना निवन्ध पड़ने का समय कब मिलेगा?

राय—आज तो मिलता नहीं। कल गार्डन पार्टी हैं। हिज एक्सेलेन्सी और अन्य अधिकारी वर्ग निमन्त्रित हैं। सारा दिन इसी तैयारी में लग जायगा। परसों सब चिड़ियाँ उड़ जायेगी, कुछ गिने-गिनाये लोग रह जायेंगे, तब आप शौक से अपना लेख सुनाइएगा।

यही बातें हो रही थी कि राजा इन्द्रकुमारसिंह ना आगमन हुआ। राय साहब ने उनका स्वागत करके पूछा, नैनीताल कब तक चलिएगा?

राजा साहब—मैं तो सब तैयारियाँ करके चला हूँ। यहीं से हिज एक्सेलेन्सी के साथ चला जाऊँगा। क्या मिस्टर ज्ञानशंकर नही आये?

प्रेम—जी नहीं, उन्हें अवकाश नहीं मिला।

राजा—मैंने समाचार-पत्रों में आप के लेख देखे थे। इसमे सन्देह नहीं कि आप कृषि-शास्त्र के पंडित हैं, पर आप जो प्रस्ताव कर रहे हैं वह वहां के लिए कुछ बहुत उपयुक्त नहीं जान पड़ता। हमारी सरकार ने कृषि की उन्नति के लिए कोई बात उठा नहीं रखी। जगह-जगह पर प्रयोगशालाएँ खोलीं, सस्ते दाम में बीज वेचती हैं, कृषि