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प्रेमाश्रम

बिसेसर साह चुपके से सरक गये । तेल-तमोली ने भी देखा कि यहाँ मिलता-जुलता तो कुछ नही दीखता, उल्टे और पलेथन लगने का भय है तो उन्होने भी अपनी अपनी राह लीं। तहसीलदार ने प्रेमशकर की ओर देख कर कहा, देखा आपने टैक्स के नाम से इन सबो की जान निकल जाती हैं। मैं जानता हूँ कि इसकी सालाना आमदनी ज्यादा से ज्यादा १००० रु० होगी। लेकिन चाहे इस तरह कितना ही नुकसान बरदाश्त कर लें, अपने बही-खाते न दिखायेंगे। यह इनकी आदत हैं।

प्रेमशंकर--खैर, यह तो अपनी चाल-बाजी की बदौलत नुकसान से बच गया, मगर ओर बेचारे तो मुफ्त में पिस गये, उस पर जलील हुए वह अलग।

तहसीलदार--जनाब, इसकी दवा मेरे पास नहीं है। जब तक कौम को आप लोग एक सिरे से जगा न देंगे इस तरह के हथकडो को बन्द होना मुश्किल है। जाँह दिलो मे इतनी खुदगरजी समायी हुई है और जहाँ रियाया इतनी कच्ची हैं वहाँ किसी तरह की इसलाह नही हो सकती। (मुस्करा कर) हम लोग एक तौर पर आपके मददगार है। रियाया को सता कर, पीस कर मजबूत बनाते हैं और आप जैसे कौमी हमदर्दो के लिए मैदान साफ करते है।



२७

प्रभात का समय था और कुँआर का महीना। वर्षा समाप्त हो चुकी थी। देहातो मे जिधर निकल जाइए, सड़े हुए सन की दुर्गन्ध उड़ती थी। कभी ज्येष्ठ को लज्जित करनेवाली धूप होती थी, कभी सावन को शरमानेवाले बादल घिर आते थे। मच्छर और मलेरिया का प्रकोप था, नीम की छाल और गिलोय की बहार थी। चरावर में दूर तक हरी-हरी घास लहरा रही थी। अभी किसी को उसे काटने का अवकाश न मिलता था। इसी समय बिन्दा महराज और कर्तारसिह लाठी कधे पर रखें एक वृक्ष के नीचे आ कर खडे हो गये। कतरि ने कहा, इस बुड्ढे को खुचड सूझती रहती है। भलो बताओ, जो यहाँ मवेशी न चरने पायेगे तो कहाँ जायँगे और जो लोग सदा से चराते आये है वे मानेगे कैसे ? एक बेर कोई इसकी मरम्मत कर देता तो यह आदत छूट जाती।

बिन्दा--हमका तो ई मौजा मा तीस बरसे होय गई। तब से दस कारिन्दे आये पर चरावर कोऊ न रोका। गाँव भर के मवेशी मजे से चरत रहे।

कतरि--उन्हे हुकुम देते क्या लगता है। जायगी तो हमारे माथे ।

बिन्दा--हमार जी तो अस ऊब गवा है कि मन करत है छोड-छाड़ के घर चला जाई। सुनित है मालिक अबैया हैं। बस, एक बेर उनसे भेट होई जाय और अपने घर-के राह लैई।

कर्तार--फैजू दिन भर खाट पर पड़ी रहता है, उससे कुछ नही कहते । जब देखो कर्तार को ही दौडाते है, मानो कर्तार उनके बाप का गुलाम है। और देखो, पीपल के नीचे जहाँ हम-तुम जल चढ़ाते हैं, वहाँ नमाज पढते है, वही दतुअन-कुल्ली करते है, वही नहाते हैं। बताओ, धरम नष्ट मया कि रहा? आप तो रोज कुरान पढते है और