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प्रेमाश्रम


कास्तकारों ने राजा को गद्दी से उतार दिया है और अब किसानो और मजदूरों की पंचायत राज करती है।

कादिर--(कुतूहल से) तो चलो ठाकुर। उसी देश में चले, वहीं मालगुजारी न देनी पड़ेगी।

डपट-वहाँ के कास्तकार बड़े चतुर और बुद्धिमान होगे तभी राज सँभाल होगे।

कादिर-मुझे तो विश्वास नही आता।

मनोहर--हमारे पत्र में झूठी बाते नहीं होती।

बलराज-पत्रवाले झूठी बाते लिखे तो सजा पा जायें।

मनोहर-जब उस देश के किसान राज का बदोवस्त कर लेते है, तो क्या हम लोग लाट साह्न से अपना रोना भी न रो सकेगे?

कादिर-तहसीलदार साहब के सामने तो मुँह झुलता नहीं, लाट साहब से कौन फरियाद करेगा?

बलराज-तुम्हारा मुँह न खुलै, मेरी तो लाट साहब से बातचीत हो, तो सारी कथा। कह सुनाऊँ।

कादिर-अच्छा, अब की हाकिम लोग दौरे पर आयेगे, तो हम तुम्ही को उनके सामने खड़ा कर देगे।

यह कह कर कादिर खाँ घर की ओर चले। बलराज ने भी लाठी कंधे पर रखी और उनके पीछे चला। जब दोनो कुछ दूर निकल गयें तब बलराज ने कहा, दादा कहो तो खाँ साहव की (घूसे का इशारा करके) कर दी जाये।

कादिर नै चौक कर उसकी ओर देखा, क्या गाँव भर को बंधवाने पर लगे हौ? भूल कर भी ऐसा काम न करना।

बलराज----सब मामला लैस है, तुम्हारे हुकुम की देर है।

कादिर--(कान पकड़ कर) नही, मैं तुम्हें आग में कूदने की सलाह न दूंगा। जब अल्लाह को मजूर होगा तब वह आप ही यहाँ से चले जायेंगे।

बलराज----अच्छा तो बीच में न पड़ोगे न?

कादिर---तो क्या तुम लोग सचमुच मार-पीट पर उतारू हो क्या? हमारी बात न मानोगे तो मैं जा कर थाने में इत्तला कर दूंगा। यह मुझसे नही हो सकता कि तुम लौग गाँव में आग लगाओ और मैं देखता हूँ।

बलराज तो तुम्हारी सलाह है नित यह अन्याय सहते जायें।

कादिर–जब अल्लाह को मंजूर होगा तो आप-ही-आप सब उपाय हो जायगा।


जिस भांति सूर्यास्त के पीछे एक विशेष प्रकार के जीवधारी, जो न पशु हैं न पक्षी, जीविका की खोज में निकल पड़ते हैं, अपनी लम्बी श्रेणियो से आकाश मंडल को आच्छादित कर लेते हैं, उसी भॉति कात्तिक का आरम्भ होते ही एक अन्य प्रकार के जंतु