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प्रेमाश्रम

एक निर्मूल कल्पित संम्भावना के पीछे अपना दाना-पानी हराम कर लेना व खेद की बात है।

इस कथन के पहले भाग से ज्ञानशंकर को संतोष न हुआ था, अंतिम भाग को सुन कर निराशा हुई। समझ गये कि यह चर्चा इन्हें अच्छी नहीं लगती और यद्यपि युक्तियों से यह मुझे शांत करना चाहते हैं, पर वास्तव में इन्होंने विवाह करने का निश्चय कर लिया है। इतना ही नहीं, इन्हें यहाँ मेरी रहना अखर रहा है। मुझे यह अपना आश्रित न समझते तो मुझे कदापि इस तरह आड़े हाथों न लेते। उनका गौरवशील हृदय प्रत्युत्तर देने के लिए विकल हो उठा, पर उन्होंने जब्त किया। इस कड़वी दवा को पाने कर लेना ही उचित समझा। मन में कहा, आप मेरे साथ दोरगी चाल चल रहे है। मैं साबित कर दूंगा कि कम से कम इस व्यवहार में मैं आपसे हेठा नहीं हूँ।

उन्होनें कुछ जवाब न दिया। राय साहब को भी इन बातों के कहने का खेद हुआ। ज्ञानशंकर का मन रखने के लिए इधर-उधर की बात करने लगे। नैनीताल का भी जिक्र आ गया। उन्होंने अपने साथ चलने को कहा। ज्ञानशंकर राजी हो गये। इसमे दो लोभ थे। एक तो वह राय साहब को नजरबंद कर सकेगे, दूसरे वह उच्चाधिकारियों पर अपनी योग्यता का सिक्का बिठा सकेंगे। संम्भव है, राय साहब की सिफारिश उन्हें किसी ऊँचे पद पर पहुंचा है। यात्रा की तैयारियाँ करने लगे।



१३

यद्यपि गाँववालो ने गौस खाँ पर जरा भी आंच आने दी थी, लेकिन ज्वालासिंह का उनके बर्ताव के विषय में पूछताछ करना उनके शान्ति-हरण के लिए काफी था। चपरासी, नाजिर, मुंशी सभी चकित हो रहे थे कि इस अक्खड़ लाँडै ने डिप्टी साहब पर न जाने क्या जादू कर दिया कि उनकी काया ही पलट गयी। ईंधन, पुल, हाँडी, बर्तन, दूध-दही, माँस-मछली, साग-भाजी सभी चीजें बैगार में लेने को मना करते हैं। तब तो हमारी गुजर हो चुका। ऐसा भत्ता ही कौन बहुत मिलता है। यह लौंडा एक ही पाजी निकला। एक तो हमे फटकारें सुनायी, उस पर यह और रहा जमा गया। चल कर डिप्टी साहब से कह देना चाहिए। आज यह दुर्दशा हुई है, दूसरे गाँव में इससे भी बुरा हाल होगा। हम लोग पानी को तरस जायेंगे। अतएव ज्योंही ज्वालासिंह लौट कर आये सब के सब उनके सामने जा कर खड़े हो गये। ईजाद हुसेन को फिर उनका मुखपात्र बनना पड़ा।

ज्वालासिंह ने रुष्ट भाव से देख कर पूछा, कहिए आप लोग कैसे चले? कुछ कहना चाहते हैं? मीर साहब आपने इन लोगों को मेरा हुक्म सुना दिया है न?

ईजाद हुसेन-जी हाँ, यही हुक्म सुन कर तो यह लोग घबराये हुए आपकी खिदमत में हाजिर हुए है। कल इस गाँव में एक सख्त वारदात हो गयी। गाँव के लोग चपरासियों से लड़ने पर आमादा हो गये। ये लोग जान बचा कर चले न आये होते। तो फौजदारी हो जाती। इन लोगों ने इसकी इत्तला करके हुजूर के आराम में खलल