पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/१०१

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प्रेम-पूर्णिमा उत्साहमें कमी आने लगी और यह ठीक भी था, क्योंकि अब बेकार न थे जो बेगार करते। हाँ, क्रिकेटका शौक अबतक ज्यो. का-त्यों बना था। वह कैसरक्लबके संस्थापक और क्रिकेटके प्रसिद्ध खिलाड़ी थे। यदि मि० (कैलासको क्रिकेटको धुन थी तो उनकी बहन मासिनीको टेनिसका शौक था। इन्हें नित नवीन आमोद प्रमोद की चाह रहती थी। सहरमें कहीं नाटक हो, कोई थियेटर आवे, कोई सरकस, कोई बायसकोप हो, कामिनी उसमें न सम्मिलित हो, यह असम्भव बात थी। मनोविनोदकी कोई सामग्री उसके लिये उतनी ही आवश्यक थी, जितना वायु और प्रकाश । मि० कैलाश पश्रिमीय सभ्यताके प्रवाहसे बहनेवाले अपने अन्य सहयोगियोंको भाति हिन्दू जाति, हिन्दू सभ्यता, हिन्दी भाषा और हिन्दुस्तान के कट्टर विरोधी थे । हिन्दू सभ्यता उन्हें दोषपूर्ण दिखायी देती थी। अपने इन विचारोंको के अपनेहीवक परिमित न रखते थे, बल्कि बड़ी ही ओजस्विनी भाषामें इल विषयोंपर लिखते और बोलते थे। हिन्दू सभ्यताके विवेकी भक्त उनके इन विवेकशून्य विचारोंपर हँसते थे परन्तु उपहास और विरोध तो सुधारकके पुरस्कार हैं। मि० कैलाश उनकी कुछ परवाह न करते थे । वे कोरे बाक्यवीर ही न थे, कर्मवीर मी पूरे थे। कामिनीकी स्वतन्त्रता उनके विचारोंका प्रत्यक्ष स्वरूप दी। सौमात्रयवाय कामिनीके पति गोपालनारायण भी इन्हीं विचारोंमें रंगे हुए थे। वे सालभरसे अमेरिकामें विद्याध्ययन करते थे। कामिनी, भाई और पति के उपदेशोंसे पूरा-पूरा लाभ छामें कमन करती थी।