पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/१४८

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१४७ बलिदान प्रजाको सुख पहुँचे। नियन्द पशुओंका वध न करके तुमको उन हिंसकोंके पीछे दौड़ना चाहिये जो धोखाधड़ीसे दूसरोंका वध करते हैं। ऐसे आखेट करो जिससे तुम्हारी आत्माको शान्ति मिले । तुम्हारी कीर्ति संसारमें फैले। तुम्हारा काम वध करना नही, जीवित रखना है। यदि वध करो तो केवल जीवित रखने के लिये । यही तुम्हारा धर्म है। जाओ, परमात्मा तुम्हारा कल्याण करे। बलिदान- [१] मनुष्यकी आर्थिक अवस्थाका सबसे ज्यादा असर उसके नामपर पड़ता है। मौजे बेलाके मगरू मकर जबसे कान्सटेबल हो गये हैं, उनका नाम मङ्गल सिंह हो गया है। अब उन्हें कोई मगरू कहनेका साहस नही कर सकता। कल्लू अहीरने जबसे हलकेके थानेदार साहबसे मित्रता कर ली है और गॉवका मुखिया हो गया है, उसका नाम कालिकादीन हो गया है। अब उसे कल्लू कहे तो ऑखें लाल-पीली करता है ! इसी प्रकार इखचन्द्र कुरमी अब हरखू हो गया है। आजसे बीस साल पहले उसके यहाँ शक्कर बनती थी, कई हलकी खेती होती थी और कारोबार खूब फैला हुआ था। लेकिन विदेशी शक्करकी आमदनीने उसे मटियामेट