पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/१६१

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प्रेम-पूर्णिमा लड़का अब एक ई टकेमढेपर काम करता है और २०) महीना घर आता है। अब वह कमीज और अक्षरेजी जूता पहनता है। घरमे दोनो जून तरकारी पकती है और जौके बदले गेहूँ खाया' जाता है, लेकिन गॉवमें उसका कुछ भी आदर नही । वह अब मजूरा है। सुभागी अब पराये गॉवमें आये हुए कुत्ते की भाति दबंकती फिरती है। वह अब पचायत में नही बैठती। वह अब मजूरकी माँ है। कालिकादीनने गिरधारीके खेतोसे इस्तीफा दे दिया है क्योकि गिरधारी अभीतक अपने खेतोके चारो तरफ मॅडराया करता है । अन्धेरा होते ही वह मेड़पर आकर बैठ जाता है और कभी कभी रातको उधरसे उसके रोनेको आवाज सुनाई देती है। वह किसीसे बोलता नही, किसीको छेड़ता नहीं। उसे केवल अपने खेतोंको देखकर सन्तोष होता है। दीया जलने के बाद उधरका रास्ता बन्द हो जाता है। लाला ओंकारनाथ बशुत चाहते हैं कि ये खेत उठ जायें, लेकिन गॉवके लोग उन खेतोका नाम लेते डरते हैं। बोध- - पण्डित चन्द्रधरने एक अपर प्राइमरी मुदरिसी तो कर ली थी, किन्तु सदा पछताया करते थे कि कहासे इस जंजालमें आ