पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/१९०

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प्रेम-पूणिमा आनेमे मुझे भी कुछ त्याग करना पड़ा है, पर मुझे ऐसा मालम हुआ कि इस चर्चासे उसे कोई विशेष दुख हुआ। पर क्षणभरमें सूर्य मेघमडलसे बाहर निकल आया, बोली-यह स्थान अपनी रमणीयताके कारण बहुधा लोगोकी ऑखोमे खटकता है। गुणका निरादर करनेवाले सभी जगह होते हैं और यदि जलवायु कुछ हानिकर हो भी तो आप जैसे बलवान मनुष्यको इसकी क्या चिन्ता हो सकती है। रहे विषैले जीव जन्तु, वह आपके नेत्रोके सामने विचर रहे हैं। अगर मोर, हिरन और हस विषैले जीव है तो निस्सन्देह यहॉ विषैले जीव बहुत है। मुझे सशय हुआ, कही मेरे कथनसे उसका चित्त खिन्न न हो गया हो। गर्वसे बोला-इन गाइड बुकोंपर विश्वास करना सर्वथा भूल है। इस वाक्यसे सुन्दरीका हृदय खिल गया, बोली-आप स्पष्ट- बादी मालूम होते हैं और यह ममुष्यका एक उच्च गुण है । मै आपका चित्र देखते ही इतना समझ गयी थी। आपको यह सुन कर आश्चर्य होगा कि इस पदके लिये मेरे पास एक लाखसे अधिक प्रार्थनापत्र आये थे। कितने ही एम० ए० थे, कोई डी० एस० सी० था, कोई जर्मनीसे पी० एच० डी० उपाधि प्रात किये हुए था, मानो यहॉ मुझे किसी दार्शनिक विषयकी जाँच करनी थी। मुझे अबको ही यह अनुभव हुआ कि देशमे उच्च- शिक्षित मनुष्योंकी इतनी भरमार है। कई महाशयोंने स्वरचित प्रोंकी नामावली लिखी थी, मानों देशमें लेखकों और पडितों हीकी आवश्यकता है। उन्हें कालगतिका लेशमात्र भी परिचय नही है । प्राचीन धर्मकथाये अब केवल अन्धभक्तोंके रसास्वादन