पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/२५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२१
ईश्वरीय न्याय
 

जाता है। क्योंकि वह असली मोती नहीं, नकली काँचके दाने थे जो केवल विश्वास जमानेके निमित्त दरसाये गये थे। वह केवल एक सुन्दर जाल था जो एक सरल हृदय और छल-छन्दोंसे दूर रहनेवाले रईसको फॅसाने के लिए फैलाया गया था। इस नरपशुका अन्तःकरण कितना अन्धकारमय, कितना कपट-पूर्ण, कितना कठोर है और इसकी दुष्टता कितनी घोर और कितनी अपावन है। अपने शत्रु के साथ दगा करना तो एक बार क्षम्य है मगर इस मलिनहृदय मनुष्यने उन बेकसोंके साथ दगा किया है जिनपर मानव-स्वभावके अनुसार दगा करना अनुचित है। यदि आज हमारे पास बही खावे मौजूद होते तो अदालतपर सत्यनारायणकी सत्यता स्पष्टरूपसे प्रकट हो जाती। पर मुन्शी- जीके बरखास्त होते ही दफ्तरसे उनका लुप्त हो जाना भी अदा- लतके लिए एक बड़ा सबूत है।

शहरके कई रईसोने गवाही दी—पर सुनी सुनाई बाते जिरहमें उखड़ गयीं।

दूसरे दिन फिर मुकद्दमा पेश हुआ।

प्रतिवादीके वकीलने अपनी वक्तृता शुरू की। उसमें गम्भीर विचारोंकी अपेक्षा हास्यका आधिक्य था--यह एक विलक्षण न्याय सिद्धान्त है कि किसी धनाढ्य मनुष्यका नौकर जो कुछ खरीदे वह उसके स्वामीकी चीज समझी जाय। इस सिद्धान्तके अनुसार इमारी गवर्नमेंटको अपने कर्मचारियोंकी सारी संपत्तिपर कब्जा कर लेना चाहिये। यह स्वीकार करने में हमको कोई आपत्ति नहीं कि हम इतने रुपयोंका प्रबन्ध न कर सकते थे। और यह धन हमने स्वामी हीसे ऋण लिया। पर हमसे ऋण