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ईश्वरीय न्याय
 

सकती हैं कि इस आठ वर्षको मुद्दतमें कभी इस गॉवका जिक्र उनके सामने आया? कभी उसके हानि-लाभ, आय व्यय, लेन- देनकी चर्चा उनसे की गयी? मान लीजिये कि मैं गवर्नमेंटका मुलजिम हूॅ। यदि मै आज दफ्तरमें आकर अपनी पत्नीके आय व्यय और अपने टहलुओके टैक्सोंका पचड़ा गाने लगूँ तो शायद मुझे शीघ्र ही अपने पदसें पृथक् होना पड़े। और संभव है, कुछ दिनों बरेलीकी विशाल अतिथिशालामें रखा जाऊॅ। जिस गॉवसे भानुकुॅवरिको कोई सरोकार न था उसकी चर्चा उनसे क्यों की जाती?

इसके बाद बहुतसे गवाह पेश हुए, जिनमें अधिकाश आस- पासके देहातोंके जमीदार थे, उन्होंने बयन किया कि हमने मुन्शी सत्यनारायणको अध्यमियों को अपनी दस्तखती रसीद देते और अपने नामसे खज़ानेमें रुपया दाखिल करते देखा है।

इतनेमें सन्ध्या हो गयी। अदालतने एक सप्ताहमें फैसला सुनानेका हुक्म दिया।

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सत्यनारायणको अब अपनी जीत में कोई सन्देह न था। वादी पक्षके गवाह भी उखड़ गये थे और बहस भी सबूतसे खाली थी। अब इनकी गिनती भी जमींदारों में होगी, और संभव है, वह कुछ दिनोंमें रईस कहलाने लगें। पर किसी-न-किसी कारपसे आप वह शहरके गण्यमान्य पुरुषोंसे आँखे मिलाते शर- माते थे। उन्हें देखते ही उनका सिर नीचा हो जाता था। वह मनमें डरते थे, कि वे लोग कही इस विषयपर कुछ पूछताछ न