का फल बुरा होता है। आदमी न देखे पर अल्लाह सब कुछ देखता है।
बहूजीपर घड़ों पानी पड़ गया। जी चाहता था कि धरती फट जाती तो उसमें समा जाती। स्त्रियाॅ स्वभावतः लजाकी मूर्ति होती हैं। उनमें आत्माभिमानको मात्रा अधिक होती है। निन्दा और अपमान उनसे सहन नही हो सकता। सिर झुकाये हुए बोली—बुआ। मैं इन बातोंको क्या जानूॅ! मैंने तो आज ही तुम्हारे मुँहसे सुनी है। कौन-सी तरकारियाँ हैं?
मुन्शी सत्यनारायण अपने कमरे में लेटे हुए कुंजडिनकी बातें सुन रहे थे। उसके चले जानेके बाद आकर स्त्रीसे पूछने लगे— यह शैतानकी खाला क्या कह रही थी?
स्त्रीने पतिकी ओरसे मुॅह फेर लिया और जमीनकी ओर आकते हुए बोली—क्या तुमने नहीं सुना। तुम्हारा गुणगान कर रही थी। तुम्हारे पोछे देखो किस किसके मुंहसे ये बातें सुननी पड़ती है और किस किससे मुंह छिपाना पड़ता है।
मुन्शीजी अपने कमरेमें लौट आये। स्त्रीको कुछ उत्तर नहीं दिया। आत्मा लजासे परास्त हो गयी। जो मनुष्य सदैव सर्वसम्मानित रहा हो, जो सदा आत्माभिमानसे सिर उमकर चलता रहा हो, जिसको सुकृतिकी सारे शहरमें चर्चा होती रही हो वह कमी सर्वथा लज्जा शून्य नहीं हो सकता। लजा कुपथकी सबसे बड़ी शत्र है। कुवासनाओंके भ्रममें पड़कर मुन्शीजीने समझा था, मैं इस कामको ऐसी गुप्त रीतिसे पूरा कर ले जाऊँगा कि किसीको कानोकान खबर न होगी। पर उनका यह मनोरथ सिब न हुआ। बाधायें आ खड़ी हुई। उनके इटाने में बड़े दुस्साहससे