काम लेना पड़ा। पर यह भी उन्होंने लज्जासे बचनेके निमित्त किया। जिसमें कोई यह न कहे कि अपनी स्वामिनीको कोखा दिया। इतना यत्न करने पर भी वह निन्दासे न बच सके। बाजार की सौदा बेचनेवालियाॅ भी अब उनका अपमान करती हैं। कुवासनाओंसे दबी हुई लज्जा-शक्ति इस कडी चोटको सहन न कर सकी। मुन्शीजी खोचने लगे, अब मुझे धन सम्पत्ति मिल जायगी, ऐश्वर्यवान् हो जाऊॅगा, परन्तु निन्दासे मेरा पीछा न छूटेगा। अदालतका फैसला मुझे लोक निन्दासे न बचा सकेगा। ऐश्वर्यका फल क्या है। मान और मर्य्यादा। उससे हाथ धो बैस वो इस ऐश्वर्य्यको लेकर क्या करूॅगा? चिचकी शक्ति खोकर, लोक-लज्जा सहकर, जन समुदायमे नीच बनकर और अपने घरमें कलहका बीज बोकर यह सम्पत्ति मेरे किस काम आवेगी? और, दि वास्तव में कोई न्याय शक्ति हो और वह मुझे इस दुष्कृत्यका दबहा दे तो मेरे लिये सिवाक मुंहमे कालिख लमा कर निकल जानेके और कोई मार्ग ना रहेगा। सत्यवादी मनुष्यपर कोई विपक्ति पाती है तो लोग उसके साथ सहानुभूतिः करते हैं। दुष्टोंकी वित्ति लोगों के लियो व्यंगकी सामग्री बन जाती है, उस अवस्था में ईश्वर अन्यायी ठहराया जाता है। मगर दुष्टोंकी विपत्ति ईश्वर- के न्यायको सिद्ध करती है। परमात्माव् इस दुर्दशाको किसी तरह मेरा उद्धार करो। क्यों न जाकर में भाव करिके पैरोंपर मिर पष्ट और बिनय करूँ कि यह मुकद्दमा उठा लो शोक। पहले यह बात मुझे क्यों सूझी! अमर कलतक मैं उनके पास चला गया होता है सब बात बन जाती। पर अब क्या हो सकता है। आजको फैसला सुनाया जायगा।