पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/३५

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शंखनाद . मिलनेमें असुविधाके कारण उन्हें धीरजसे काम करना पड़ता तो गाँवमें आफत आ जाती थी। क्योंकि उनके धीरज और दरोमा- जीके क्रोध कोई धनिष्ठ सम्बन्ध था। साराच यह है कि चौधरी जीसे उनके दोस्त दुश्मन समी चौकन्ने रहते थे। [२] चौधरी महाशयके तीन सुयोग्य पुत्र थे। बड़े लड़के बितान एक सुशिक्षित मनुष्य थे । अकियेके रजिस्टरपर दस्तखत कर लेते थे। ये बडे अनुभवी, बड़े मर्मज्ञ, बड़े नीतिकुशल, थे, मिर्जईकी जगह कमीज पहनते, कभी कभी सिनोट भी पीते, जिससे उनका गौरव बढ़ता था। यद्यपि उनके ये दुर्व्यसन बूढ चौधरीको नापसन्द थे, पर बेचारे विवश थे, क्योंकि अदालत और कानूनके मामिले बितानके हाथों में थे। यह कानूनका पुतला था। कानूनके दफे जबानपर रखे रहते थे। गवाह गढमेमें वह पूस उस्ताद था। मझले लड़के शानचौधरीकृषिविभागके अधिकारी थे, बुद्धि के मन्द लेकिन शरीरसे बड़े परिश्रमी । जहाँ पास/न जमती हो वहाँ केसर जमा दें। तीसरे लड़के का नाम गुमान था। यह बड़ा रसिक साथही उदण्ड था।-मुहर्रममें ढोल इतने जोरोंसे बजावा कि कानके पर्दे फट जाते । मछली फंसानेका बड़ा शौकीन था । बड़ा रंगीला जवान था। खजडी बजा बजाकर जब वह मीठे स्वरसे खियाल गाता तो रंग जम जाता। उसे दगलका ऐसा शौक या कि कोसोंतक धावा मारता, परपरवाले कुछ ऐसे शुष्क थे कि उसके इन व्यसनोंसे तनिक भी सहानुभूति न रखते थे। पिता और भाइयोंने तो उसे असर खेत समझ रखा था। घुड़की धमकी,