पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/५९

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सफेद खून हूँ। अगर यह नही है तो मेरे लिए इसके सिवा और कोई उपाय नहीं है कि जितना जल्दी हो सके ग्रहोस भाग जाऊँ। जिनका खून सफेद है उनके बीच में रहना व्यर्थ है। देवकीने रोकर कहा- लल्लू, मैं अब तुम्हें न जाने दूंगी। साधोकी ऑखे भर आयीं, पर मुस्कराकर बोला--मै तो तुम्हारी थालीमें खाऊँगा। देवकीने उसे ममता और प्रेमकी दृष्टि से देखकर कहा-मैंने तो तुझे छतीसे दूध पिलाया है, तू मेरी थालीमें खायगा तो क्या ? मेरा बेटा ही तो है, कोई और तो नहीं हो गया। साधो इन बातोंको सुनकर मतवाला हो गया। इनमें कितना स्नेहकितना अपनापन था। बोला-माँ, आया तो मैं इसी इरादेसे था कि अब कहीं न जाऊँगा, लेकिन विरादरीने मेरे कारण यदि तुम्हें जातिच्युत कर दिया तो मुझसे न सहा जायगा। मुझसे इन गॅवारोका कोरा अभिमान न देखा जायगा। इसलिए इस वक्त मुझे जाने दो। जब मुझे अवसर मिला करेगा तुम्हें देख जाया करूँगा। तुम्हारा प्रेम मेरे चित्तसे नहीं जा सकता। लेकिन यह असम्भव है कि मैं इस घरमें रहूँ और अलग खाना खाऊँ अलग बै→। इसके लिये मुझे क्षमा करना। देवकी परमेंसे पानी लायी। साधो-मुंह धोने लगा। शिव- गौरीने माँका इशारा पाया तो डरते-डरते साधोके पास गई, साघोको आदरपूर्वक दण्डवत की। साधोने पहिले उन दोनोंको आश्रयंसे देखा, फिर अपनी माँको मुस्कराते देखकर समझ