पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/६०

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प्रेम पूर्सािमा गया। दोनो लडकोंको छातीसे लगा लिया और तीनों भाई बहिन प्रेमसे हँसने-खेलने लगे। माँ खड़ी यह दृश्य देखती थी और उमगसे फूली न समाती थी। जलपान करके साधोने बाईसकिल संभाली और माँ बापके सामने सिर झुकाकर चल खडा हुआ। वहीं, जहाँसे तंग होकर. आया था। उसी क्षेत्रमें जहाँ अपना कोई न था। देवकी फूट. फूट कर रो रही थी और जादोराय ऑखोंमें ऑसू भरे, हृदयमें एक ऐठन सी अनुभव करता हुआ सोचता था, हाय ! मेरे लाल, तूं मुझसे अलग हुआ जाता है। ऐसा योग्य और होनहार लड़का हायसे निकला जाता है और केवल इसलिए कि ... अब-हम्परा. खून सफेद हो गया है। गरौबकी हाय- [१] मुन्शी रामसेवक भौहे चढ़ाये हुए घरसे निकले और बोले- 'इस जीनेसे तो मरना भला है मृत्युको प्रायः इस तरहके जितने निमन्त्रण दिये जाते हैं, यदि वह सबको स्वीकार करती तो आज सारा ससार उजाड़ दिखाई देता। मुंशी रामसेवक चॉदपुर गाँवके एक बड़े रईस थे। रईसोके सभी गुण इनमें भरपूर थे। मानव चरित्रकी दुर्बलताये उनके