पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/७१

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गरीबकी हाय इसमें अपमान भी बहुत है । मूंगा यह जानती थी और इसीलिये इस दरवाजेपर आकर मरी थी। वह जानती थी कि मै जीते जी वो कुछ नही कर सकती, मरकर उससे बहुत कुछ कर सकती हूँ। गोबरका उपला जब जलकर खाक हो जाता है तब साधु सन्त उसे माथेपर चढ़ाते हैं, पत्थरका ढेला आगमें जलकर आगसे अधिक तीखा और मारक होता है। मुन्शी रामसेवक कानूनों थे। कानूनने उनपर कोई दोष नही लगाया था। मूंगा किसी कानूनी दफाके अनुसार नहीं मरी थी। ताजिसत हिन्दमें उसका कोई उदाहरण नही मिलता था। इसलिये जो लोग उनसे प्रायश्चित्त करवाना चाहते थे उनकी भारी भूल थी। कुछ हर्ज नही कहार पानी न भरे, न सही । वह आप पानी भर लेगे। अपना काम आप करनेमे भला लाज ही क्या? बलासे नाई बाल न बनावेगा। हजामत बनानेका काम ही क्या है, दाढ़ी बहुत सुन्दर वस्तु है । दाढी मर्दको शोभा और सिङ्गार है और जो फिर बालोंसे ऐसी विन होगी तो एक- एक आनेमें तो अस्तुरे मिलते हैं। धोबी कपड़े न धोवेगा इसकी भी कुछ परवाह नहीं। साबुन तो गली गली कौड़ियोंके मोल आती है। एक बट्टी साबुनमें दरजनों कपड़े ऐसे साफ हो जाते हैं जैसे बगुलेके पर । धोबी क्या खाकर ऐसा साफ कपड़ा धोवेगा ? पत्थरपर पटक पटककर कपड़ोंका लत्ता निकाल लेता है। आप आप पहने, दूसरोको भाडेपर पहनावे, भट्टीमें चड़ाके, रेहमें भिगावे; कपड़ोंकी तो दुर्गति कर डालता है। जभी तो कुरते दो तीन सालसे अधिक नहीं चलते। नहीं तो दादा हर पांचवें बरस दो