पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/७७

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प्रेम-पूर्णिमा गरीबकी हाय में कितना प्रभाव है ! रामगुलाम मुन्जीके गायब हो जानेपर अपने मामाके यहाँ चला गया और वहाँ कुछ दिनों रहा, पर वहाँ उसकी चाल ढाल किसीको पसन्द न आयी। एक दिन उसने किसीके खेतमे मूली नोची। उसने दो-चार धौल लगाथे। उसपर वह इस तरह बिगड़ा कि जब उसके चने खलिहानमें आये तो उसने आग लगा दी। सारा का-सारा खलि- हान जलकर खाक हो गया । हजारों रुपयोंका नुकसान हुआ। पुलिसने तहकीकात की, रामगुलाम पकड़ा गया। इसी अपराध वह चुनारके रिफार्मेन्टरी स्कूलमें मौजूद है । दो भाई- [१] प्रातःकाल सूर्यकी सुहावनी सुनहरी धूपमे कलावती दोनों बेटोंकों जाधोंपर बैठा दूध और रोटी खिलाती थी। किदार बड़ा था, (माधव छोटा । दोनों में हमें कौर लिये, कई पग उछल कूद- कर फिर जाघोपर आ बैठते और अपनी तोतली बोलीमें इस प्रार्थनाकी रट लगाते थे जिसमें एक पुराने सहृदय कविने किसी जा के सताये हुए बालकक हृदयोद्गारको प्रगर किया है।