पृष्ठ:प्रेम पूर्णिमा.pdf/८०

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७७ दो भाई कोई छेडनेके लिये एकको अपने साथ ले जानेकी धमकी देता तो दूसरा जमीनपर लोट जाता और उस आदमीका कुर्ता पकड़ लेता। अब यदि एक माईको मृत्यु भी धमकाती तो दूसरेके नेत्रोमें ऑसून आते। अब उन्हे अपने परायेकी पहचान हो. गयी थी। बेचारे माधवकी दशा शोचनीय थी। खर्च अधिक था और आमदनी कम । उसपर कुल मर्यादाका निर्वाह । हृदय चाहे रोये, पर होंठ हँसते रहे । हृदय चाहे मलीन हो, पर कपड़े मैले न हों। चार पुत्र थे, चार पुत्रियाँ, और आवश्यक वस्तुये मोतियोके मोल । कुछ पाइयोंकी जमीदारी कहॉतक सम्हालती! लड़कोंका व्याह अपने वशकी बात थी, पर लडकियोंका विवाह कैसे टल सकता था। दो पाई जमीन पहली कन्याके विवाहकी भेंट हो गयी। उसपर भी बराती बिना भात खाये ऑगनसे उठ गये। शेष दूसरी कन्याके विवाहमे निकल गयी। सालभर बाद तीसरी लड़कीका विवाह हुआ, पेड़ पत्ते भी न बचे। हॉ, अबकी डाल भरपुर थी। परन्तु दरिद्रता और धरोहरमें वही सम्बन्ध है जो मास और कुत्ते मे। इस कन्याका अभी गौना न हुआ था कि माधवपर दो सालके बकाया लगानका बारण्ट आ पहुँचा। कन्याके गहने गिरो (बन्दक ) रख गये। गला छूटा । चम्पा इसी समयकी ताक में थी । तुरत नये-नये नातेदारोंको सूचना दी, तुम लोग बेसुध बैठे हो, यहाँ गइनोंका सफाया हुआ जाता है। दूसरे दिन एक