पृष्ठ:बगुला के पंख.djvu/२२९

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बगुला के पंख २२७ लोगे ? याद रखो, ब्याह नहीं कर सकोगे। उसका खाविन्द जिन्दा है । और वह अदालती फजीहत नहीं बर्दाश्त करेगा। इसके अलावा यह झगड़ा अदालत में गया तो बदनामी तुम्हारी भी कम नहीं होगी।' 'खैर, यदि कोई झगड़ा न हुआ तो मैं उसे रख लूंगा । पर रखूगा कहां?' 'यह कोई मुश्किल बात नहीं है । उसके लिए मकान' आदि का मैं वन्दोबस्त कर दूंगा । तुम जब जी चाहे वहां प्रा-जा सकते हो ? लेकिन एक बात का जवाब दो कि यदि पद्मा भी किसी अघट घटनावश तुम्हारे पास आ जाए तो तुम क्या करोगे?' 'बिला शक मैं इस औरत को ठोकर मार दूंगा। पद्मा के पैरों की धूल के बराबर भी वह नहीं हो सकती।' 'तो मेरे दोस्त, इतने ज़ालिम न बनो। बुरा किया तुमने कि उसके दिल में आग सुलगा दी। बेचारी बदनसीब औरत अपने खूटे पर बंधी थी। अब तुम वहां से खोलकर उसे बेघरबार करना चाहते हो। यह नहीं होना चाहिए । जो होना था, वह तो हो चुका । पर अब मन को लगाम दो। आगा-पीछा सोचो । उसका विचार छोड़ दो। उसे उसी खूटे से बंधा रहने दो। दर्मियानी तूफान को मैं जाकर अभी ठण्डा किए देता हूं।' 'लेकिन नवाब, पद्मा का मिलना आसान नहीं है । शोभाराम से दगा करते मेरा दिल शर्माता है । हां, यह बात ज़रूर है कि पद्मा को देखकर मैं अपने को काबू में नहीं रख सकता।' 'मैं तुम्हें इसके लिए मलामत तो नहीं देता। मैं तो यही कहता हूं, तेल देखो तेल की धार देखो। धीरज रखो और कुदरत का करिश्मा देखो। लेकिन इस औरत को छोड़ो, इससे तुम्हारी न निभेगी। हां, ज़िन्दगी भर निबाह ले जाने का कौल करो तो मैं अभी उसे लाकर तुम्हारे पलंग के पास खड़ा कर सकता हूं।' 'मैं किसी प्रकार का कौल नहीं दे सकता,' इतना कहकर जुगनू ने बेचैनी से एक करवट बदली। 'बस, तो इस औरत को अपनी राह से दूर करो।' 'तुम जैसा ठीक समझो करो। मेरा दिमाग काम नहीं दे रहा ।' 'तो तुम सो रहो । और अपने चुनाव को सफल बनाने में ध्यान दो।'