पृष्ठ:बगुला के पंख.djvu/२४

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२२ बगुला के पंख उसने इन्हीं दो दिनों में इधर-उधर के शेर सुना तथा बीच-बीच में अंग्रेज़ी बोल- कर अपनी योग्यता की धाक शोभाराम के ऊपर जमा ली थी। वह यह कल्पना भी न कर सकता था कि यह आदमी लिखना-पढ़ना बिलकुल नहीं जानता। उसने हंसते-हंसते कहा, 'कोई बात नहीं, भाई, अभ्यास से सब ठीक हो जाएगा। उसने जल्दी-जल्दी सब काम पूरा किया । काम करते-करते दिये जल गए। शोभाराम ने काम समाप्त कर उठते हुए कहा, 'अभी मुझे ज़रा चीफ मिनिस्टर साहब के बंगले तक जाना है । वहां से शायद मुझे एज्युकेशन मिनिस्टर के पास भी जाना पड़े । सम्भव है घर लौटते-लौटते मुझे देर हो जाए। तुम घर जाओ। खाने के लिए मेरी प्रतीक्षा न करना । जिस चीज़ की आवश्यकता हो, पद्मा से कहना, संकोच न करना। 'लेकिन भाई साहब, तुम्हारा स्वास्थ्य ठीक नहीं है, और इस कदर मेहनत करके तुम अपने स्वास्थ्य को मिट्टी कर रहे हो। मेरी बात सुनो, घर चलो। खा-पीकर आराम करो। सुबह यह सब धन्धे देखना-भालना।' 'नहीं, नहीं भाई, सुबह मीटिंग है। मुझे आज ही रात को एजेंडा तैयार करना होगा और अभी चीफ मिनिस्टर से भी मिलना होगा। मगर मैं ज्यादा देर नहीं लगाऊंगा।' इतना कहकर शोभाराम चला गया। जुगनू वड़ी देर तक चुपचाप कमरे में टहलता रहा। फिर उसने चपरासी को सफाई के सम्बन्ध में सख्ती से ताकीद की और वहां से चलता बना । इस समय उसका मन हलका और प्रसन्न था। डाक्टर खन्ना का मुशायरा बहुत शानदार रहा । दावत में प्रान्तीय' कांग्रेस के अध्यक्ष श्री राममनोहर सेठी और दिल्ली म्युनिसिपैलटी के चेयरमैन श्री अग्रवाल भी आए थे । शिक्षा विभाग के डिप्टी मिनिस्टर श्री अत्रे और तीन-चार एम० पी० भी थे । जुगनू ने अजब प्रभावशाली लहजे में तरन्नुम में गज़लें पढ़ीं। सुनने वाले झूम-झूम उठे । असल बात यह थी कि जुगनू ने इसकी तैयारी अच्छी तरह